Bihar: सुपौल (Supaul) में कोसी नदी पर (Kosi River) निर्माणधीन पुल गिरा कई मजदूर दबे : मधुबनी और सुपौल के बीच बकौर पुल का निर्माण किया जा रहा है. यह देश का सर्वाधिक लंबा पुल है. इसे भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा है। यहां से बड़ी घटना सामने आई है। निर्माण दिन पुल के गिरने से करीब 30 मजदूरों के दबने की आशंका बताई जा रही है।
क्या हैं पूरी घटना ?
बिहार Bihar के सुपौल supaul में बन रहे देश के सबसे बड़े बकौर पुल bakor brize के तीन पिलर के गर्डर गिरने से एक मजदूर की मौत हो गई है। जबकि 15 से 20 मजदूर घायल हो गए हैं। मौके पर पुलिस मौजूद है और राहत-बचाव कार्य जारी है. 30 मजदूरों के दबे होने की आशंका है. जानकारी के अनुसार सुपौल में निर्माणाधीन पुल के तीन स्लैब गिरे हैं. पिलर नंबर 50, 51 और 52 पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं. घटना की सूचना मिलते ही आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और दबे हुए मजदूरों को निकालने में जुट गए. ये दर्दनाक हादसा मरीचा गांव के पास हुआ है।
उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने घटना पर जताया दुःख
बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने एक बयान में कहा, ‘‘सुपौल और मधुबनी जिले के भेजा-बकौर के बीच कोसी नदी पर निर्माणाधीन पुल के एक हिस्से के गिरने से एक मजदूर की मृत्यु और कुछ अन्य मजदूरों के घायल होने की सूचना मिली है. यह घटना बहुत दुखद और मन को पीड़ा देने वाली है. प्रशासन को घायलों की अविलंब मदद करने और समुचित मुआवजा देने का निर्देश दे दिया गया है।’
उन्होंने कहा, ‘निर्माणधीन पुल गिरने की जांच कराई जाएगी और दोषी अभियंताओं और कार्यरत कंपनी के विरुद्ध नियम अनुसार जांच की जाएगी. हम इस घटना को लेकर लगातार भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों से संपर्क में हैं और सारी आवश्यक जानकारी ले रहे हैं’.
बन रहा है देश का सर्वाधिक लंबा पुल
मधुबनी और सुपौल के बीच बकौर पुल का निर्माण किया जा रहा है. यह देश का सर्वाधिक लंबा पुल है. इसे भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा है. इस पुल में कुल 171 पिलर बन रहे हैं. जिसमें डेढ़ सौ से ज्यादा पिलर का निर्माण हो चुका है. यह पुल 10.5 किलोमीटर लंबा है. इसकी निर्माण की लागत करीब 1200 करोड़ रुपए है. पुल कोसी नदी पर बन रहा है और इसकी लागत 984 करोड़ बताई जा रही है.
इस महापुल के बनने से पुल सुपौल और मधुबनी के बीच की दूरी सिमटकर 30 किलोमीटर की रह जाएगी. इस पुल के न होने पर बरसात में संपर्क कट जाता था. यही नहीं 100 किलोमीटर की दूरी भी बढ़ जाती थी.