कांशीराम जयंती: समाजिक न्याय के प्रेरणास्त्रोत
15 मार्च, कांशीराम जयंती, भारतीय राजनीति के एक अद्वितीय स्तंभ और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के संस्थापक, कांशीराम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। कांशीराम ने अपना जीवन भारतीय समाज में निम्न वर्गों और दलित समुदायों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने में समर्पित कर दिया। उनका जन्म 1934 में पंजाब के रूपनगर जिले में हुआ था।
जीवनी और करियर
कांशीराम ने अपने करियर की शुरुआत सरकारी नौकरी से की थी, लेकिन बाद में उन्होंने दलित समाज के उत्थान के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। उन्होंने महसूस किया कि व्यवस्थागत परिवर्तन के लिए राजनीतिक शक्ति का होना जरूरी है। इसी विचार के साथ, उन्होंने 1984 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) की स्थापना की।
समाजिक न्याय की दिशा में योगदान
कांशीराम ने समाजिक न्याय, समानता और दलितों के लिए समर्पण के साथ राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन की दिशा में काम किया। उनका मानना था कि समाज के दबे-कुचले वर्गों को उनके हक दिलाने के लिए राजनीतिक सत्ता में भागीदारी जरूरी है। उन्होंने दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों को संगठित करने पर जोर दिया और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाई।
विरासत
कांशीराम की मृत्यु 2006 में हुई, लेकिन उनकी विचारधारा और उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त जातिगत असमानताओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी और दलित समुदायों के लिए एक मजबूत राजनीतिक मंच की नींव रखी।
कांशीराम जयंती पर, हम उनकी विरासत को याद करते हैं और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। कांशीराम की जयंती हमें समाजिक न्याय के प्रति सजग और सक्रिय रहने की प्रेरणा देती है।