संत रविदास एक प्रसिद्ध भारतीय संत और कवि थे जिन्होंने समाज मैं फैली असमानता को मिटाने अपना जीवन व्यतीत किया। उन्होंने अपने काव्य और भजनों के माध्यम से समाज को सामाजिक उत्थान के लिए प्रेरित किया। संत रविदास का जन्म कासी नामक स्थान पर हुआ था और उनका वर्णन शास्त्रों में अट्ठाईसवें गुरु, गुरु नानक देव जी के समकक्ष दिया गया है। उनके जीवन के बारे में कम जानकारी होने के बावजूद, उनकी कविताएँ और भजन उनके समय से ही उनकी महानता का परिचय कराते हैं।
संत रविदास ने अपने काव्य के माध्यम से समाज को उत्थान के लिए जागरूक किया। उनके भजन और दोहे आध्यात्मिकता, सामाजिक न्याय और दया के मूल्यों को साझा करते थे। उनका काव्य लोकप्रिय था और उन्हें साधारण लोगों की भावनाओं को स्पष्ट करने की क्षमता के लिए प्रशंसा मिली। संत रविदास के काव्य में उन्होंने भारतीय समाज के असमानता, जातिवाद, और सामाजिक दुर्बलता को उजागर किया और उनके समाधान के लिए समाज को उत्तेजित किया।
संत रविदास का काव्य जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूता है, जैसे कि उनका नामकरण, उनकी विवाह सम्बन्धी कठिनाइयाँ, और उनका जीवनसंगी के साथ उनका प्रेम। उनके दोहो में समाज में फैले भेदभाव पर कड़ा प्रहार किया है।
संत रविदास का विचार और काव्य आज भी लोगों को प्रेरित करता है। उनकी रचनाएँ आज भी भारतीय समाज में उनके संदेश को प्रसारित करती हैं और समाज में समाजिक और धार्मिक उत्थान के लिए प्रेरित करती हैं। उनके काव्य में व्यक्त किए गए सिद्धांतों ने भारतीय समाज को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग प्रदान किया है।
संत रविदास के जीवन और काव्य का अध्ययन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनकी रचनाएँ आज भी हमें समाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से देखने का अवसर देती हैं। उनके भजन और कविताओं के माध्यम से, हम समाज में समरसता, समानता, और प्रेम के मूल्यों को महत्त्व देने की दिशा में प्रेरित होते हैं। इस प्रकार, संत रविदास का योगदान हमारे समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण रहा है और उनकी स्मृति हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
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